रणनीतिक संचार संदर्भ सामग्री – भाग 10

तथ्य और साक्ष्य क्या होते हैं?

किसी भी समुदाय, विषय अथवा परिस्थिति के बारे में चर्चा करते समय तथ्यों एवं साक्ष्यों पर पूरा ध्यान दें। इनकी मौजूदगी बातों को विश्वसनीय और गंभीर बनाती है।

तथ्य कई प्रकार के होते हैं: धारणा आधारित तथ्य और साक्ष्य प्रायः गलत साबित होते हैं। मिसाल के तौर पर यह मान लेना कि झुग्गी बस्ती में रहने वाले ज्यादातर लोग नशे के आदी और अपराधी होते हैं। यह एक धारणा है जो सामाजिक-आर्थिक असमानता से उपजी है। अवलोकन आधारित साक्ष्य कुछ हद तक सही होते हैं लेकिन उनकी सर्वेक्षण एवं तथ्यों के साथ पुष्टि करने की आवश्यकता होती है। वे साक्ष्य सबसे बेहतर होते हैं जिन्हें तथ्यों की कसौटी पर कसा जा सकता है।

साक्ष्यों एवं प्रमाणों को स्थानीय भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्हें सरलतम रूप में पेश किया जाना चाहिए ताकि सभी समझ सकें। कई बार इन्हें जानबूझकर कठिन बनाया जाता है ताकि आसानी से और सटीक निष्कर्ष न निकाला जा सके। प्रयास यह होना चाहिए कि साक्ष्यों को सहज और बोधगम्य बनाया जाए। किसी अध्ययन को प्रामाणिक बनाने के लिए सरकारी आंकड़ों के अलावा स्वतंत्र आंकड़ों और फक्त फाइन्डिंग की मदद भी ली जानी चाहिए।

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