हम भारत के लोग

हमारी पोषण भरी रसोई

सामाजिक विषयों को हल करने की दिशा में कन्वर्जेन्स एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से हम विषयों को कई दृष्टिकोण और उसके स्थाई निदान की दिशा में आगे बढ़ते हैं। उपलब्ध संसाधनों में ही बहुआयामी उपयोगिता की सोच इसे एक नया आयाम देती है। इस नवाचार में सीखने, समझने और कर के देखने की प्रक्रिया इसे मजेदार भी बना देती है, सभी स्तरों पर उत्साहपूर्ण सहभागिता इसकी एक जरूरी शर्त है।

पोषण माह 2024 में विकास संवाद का अभियान ‘हम, भारत के लोग और हमारी पोषण भरी रसोई’ एक ऐसा ही प्रयोग रही। 1 से 30 सितंबर तक पूरे देश में पोषण माह मनाया जाता है। रणनीतिक संचार और पोषण विकास संवाद के काम के काम की दो कोर थीम हैं। हमने कुपोषण के समुदाय आधारित प्रबंधन की दिशा में एक मॉडल प्रस्तुत करने का काम किया है। हम रणनीतिक संचार पर भी काम कर रहे हैं। इस लिहाज से हमारी यह जिम्मेदारी हो जाती है कि इन दो आयामों को मिलाकर हम कैसे एक नया और अनूठा काम करें जिससे एक ओर पोषण की बातें हों और दूसरी ओर वह बातें कैसे व्यापक समाज तक पहुंचे और समाज की स्मृति में भी दर्ज हों।

‘हम, भारत के लोग और हमारी पोषण भरी रसोई’ इन दोनों आयामों को मिलाकर सोचने और कर के देखने की प्रक्रिया रही। ग्राउन्ड पर काम करने वाले हमारे सारे साथियों को इस पूरी मुहिम का क्रेडिट जाता है, इस मुहिम के बहाने उन्होंने एक ऐसी प्रॉपर्टी तैयार करने का काम किया है, जो सालों देखा, सुन, सराहा जाता रहेगा। दरअसल यह सामाजिक पोषण व्यवहार का भी एक अद्भुत दस्तावेजीकरण बन गया है।

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