
सामाजिक नागरिक संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का योगदान इतिहास में तो दर्ज है ही, लेकिन समाज उसे विशेष पहचान नहीं देता है। आज भी सामाजिक बदलाव और रचनात्मक विकास में संस्थाओं की ऐसी भूमिका है जिसके बिना शासन व्यवस्था, समाज और बाजार के बीच के खाली स्थान को ‘अभाव और विसंगति’ बनने से रोक नहीं जा सकता है। यह समय है जब सामाजिक नागरिक संस्थाओं को अपने सपने और अपने काम की महत्ता के बारे में लगातार संवाद करना चाहिए।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि लोग संस्थाओं से नहीं, संस्थाओं के सपने और विचार से जुड़ते हैं। इस प्रवेशिका का मकसद सामाजिक नागरिक संस्थाओं के विचार, योजना और काम में रणनीतिक संचार को यथोचित स्थान डालना है। इस प्रवेशिका से उन्हें सामाजिक नागरिक संस्थाओं की संरचना और भूमिका में संचार और संवाद के महत्व को पहचानने में मदद मिलेगी।
यह किताब पहला चरण है। दूसरा चरण है अपना पहल के लिए तैयार होना और अपने स्तर पर अपने लिए योजना बनाना। तीसरा चरण है एक दूसरे का साथ-सहयोग लेना। अगर हम इस किताब को व्यावहारिक रूप में लागू करने की आपकी योजना में सहभागी हो सकते हैं, तो हमें बताइएगा।