रणनीतिक संचार संदर्भ सामग्री – भाग 3

परिचय का आदान-प्रदान

संवाद और संचार में परिचय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

किसी भी व्यक्ति, समुदाय, समाज या संस्था के समक्ष हमारी तथ्यात्मक छवि हमारे परिचय के आधार पर ही बनती है। बिना परिचय के बनी छवि धारणा पर आधारित होती है जो सही भी हो सकती है और गलत भी। परिचय की प्रक्रिया तभी पूरी होती है जब हम और आप अपना परिचय दें तथा सामने वाले का परिचय प्राप्त करें।

परिचय की प्रक्रिया तभी प्रभावी बन सकेगी जब परिचय देते समय हमेशा ध्यान में रखा जाए कि यह किस संदर्भ में दिया जा रहा है। तभी यह तय किया जा सकेगा कि परिचय में किन बातों को प्रमुखता से उभारना है और किन पर बहुत जोर नहीं देना है। अलग-अलग अवसरों पर परिचय भी अलग होगा। उदाहरण के लिए किसी रोजगार की प्रत्यक्ष में, विशेषज्ञ सेवा देने के लिए, औपचारिक बैठक में, किसी समूह के नए सदस्य के रूप में, इन सभी अवसरों पर अलग-अलग ढंग से परिचय दिया जाएगा।

समग्रता में देखें तो परिचय सारगर्भित होना चाहिए जिसमें नाम, पद, सामाजिक/पारिवारिक पृष्ठभूमि, व्यवसाय, विषय विशेषज्ञता, मूल्य, क्षेत्र विशेष में योगदान आदि सभी शामिल हों। यह ध्यान देने वाली बात है कि परिचय का सीधा संबंध हमारे मूल्यों, प्रतिबद्धताओं तथा हमारी पहचान से होता है।

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