मार्च 2025

सामाजिक संस्थाओं को आत्म विश्लेषण की जरूरत : भाग 1

यह माना जा सकता है कि सामाजिक नागरिक संस्थाओं की अवधारणा का उदय समाज की आकांक्षाओं, उसके आभासों, विरोधाभासों, संगति और विसंगतियों का एक साथ संज्ञान लेते हुए समतामूलक, न्यायपरक और मानवीय मूल्यों से संचालित होने वाला समाज बनाने के उद्देश्य से हुआ है। जब समान विचारों के कुछ लोग एक साथ मिलते हैं, संगठित होते हैं और साझा पहल करने का वायदा करते हैं, तब सामाजिक नागरिक संस्था का उदय होता है।

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सामाजिक संस्थाओं को आत्म विश्लेषण की जरूरत : भाग 2

हमारा पहला अनुभव यह रहा है कि सामाजिक नागरिक संस्थाओं में अपने स्वयं के होने के कारण, अपनी भूमिका के बारे में सोचना बंद कर देते हैं। शायद यह भी कह सकता हूँ कि उसके बारे में सोचना शुरू ही नहीं करते हैं। जब मैं “भूमिका” शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ, तो इसका मतलब है सामाजिक नागरिक संस्थाएं अस्तित्व में क्यों आती हैं? जब राज्य है, जब बाजार है और जब समाज भी है, तब सामाजिक नागरिक संस्थाओं के होने का क्या मतलब है?

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बदलांचा वारा

इस पुस्तिका में उन लोगों और संगठनों की प्रेरक कहानियाँ शामिल हैं जिन्होंने कृषि, आजीविका और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सार्थक कार्य किया है। विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए, उन्होंने अपने समूह के लिए अपने सपने साकार किए।

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बदलाव की बयार

बदलाव की बयार में बिलकुल जमीनी कहानियाँ हैं। इन कहानियों को पढ़कर ऐसा लगेगा कि यह कर सकती हैं तो हम भी कर सकते हैं। इस बुकलेट को हम आगे बढ़ा रहे हैं ताकि सामाजिक संस्थाओं के द्वारा किए जा रहे काम को एक पहचान मिले।

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मध्य प्रदेश की संस्थाओं की पहल की कहानियाँ

विकास संवाद ने चार राज्यों में कृषि के कुछ मॉडलों को सीधे देखा और समझा है और उनकी केस स्टडीज तैयार की हैं। इस संकलन में हमने मध्य प्रदेश की कहानियों को समाहित किया है।

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महाराष्ट्र की संस्थाओं की पहल की कहानियाँ

खेती देश का मुख्य आधार है, यह बार-बार साबित होते रहा है। भारतीय कृषि एक ऐसे दौर से गुजर रही है, जहां पर उस पर कई किस्म के संकट हैं। पिछले कई सालों से लगातार ऐसा माहौल तैयार किया गया है जिससे हमें लगता है कि खेती से कोई उम्मीद नहीं है, वह तो घाटे का ही सौदा है।

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हमारी पोषण भरी रसोई

‘हम, भारत के लोग और हमारी पोषण भरी रसोई’ इन दोनों आयामों को मिलाकर सोचने और कर के देखने की प्रक्रिया रही। ग्राउन्ड पर काम करने वाले हमारे सारे साथियों को इस पूरी मुहिम का क्रेडिट जाता है, इस मुहिम के बहाने उन्होंने एक ऐसी प्रॉपर्टी तैयार करने का काम किया है, जो सालों देखा, सुन, सराहा जाता रहेगा।

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सामाजिक नागरिक संस्थाएं मायने और बुनियादी दृष्टिकोण

भारत में समाज और व्यवस्थाओं को एक सार्थक रूप प्रदान करने में सामाजिक नागरिक संस्थाओं की रचनात्मक और प्रभावकारी भूमिका रही है। यह समय है जब संस्थाओं को अपने अस्तित्व की महत्ता समाज को महसूस करवाने की जरूरत है।

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सामाजिक नागरिक संस्थाओं में टीम प्रबंधन

सामाजिक नागरिक संस्थाओं ने समाज के निर्माण और बेहतरी के लिए जो भूमिका निभाई है, उसके मूल में रहे हैं प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता। यह समय है जब संस्थाओं को अपनी टीम और उनकी भूमिका के बारे में सजगता से विचार करना चाहिए।

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सामाजिक नागरिक संस्थाओं में कार्यक्रम प्रबंधन

सामाजिक नागरिक संस्थाएं एक सपने, एक मकसद के लिए काम करती हैं। यह मकसद होता है साझा हित का, साझा खुशहाली का। हर सपना एक कार्यक्रम का रूप लेता है। यह समय है जब सामाजिक नागरिक संस्थाओं को कार्यक्रम प्रबंधन के बारे में ज्यादा सजगता से विचार करना चाहिए। 

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